Monday, December 10, 2018
स्वास्थ्य रहने के लिए जरूरी है योगा
स्वस्तिकासन
योग क्या है?
योग का अर्थ है जोड़ना. जीवात्मा का परमात्मा से मिल जाना, पूरी तरह से एक हो जाना ही योग है। योगाचार्य महर्षि पतंजली ने सम्पूर्ण योग के रहस्य को अपने योगदर्शन में सूत्रों के रूप में प्रस्तुत किया है.
उनके अनुसार, “चित्त को एक जगह स्थापित करना योग है।
अष्टांग योग क्या है?
हमारे ऋषि मुनियों ने योग के द्वारा शरीर मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बताएँ हैं, जिसे अष्टांग योग कहते हैं..
ये निम्न हैं-
1. यम
2. नियम
3. आसन
4. प्राणायाम
5. प्रात्याहार
6. धारणा
7. ध्यान
8. समाधि
इस पोस्ट में हम कुछ आसान और प्राणायाम के बारे में बात करेंगे जिसे आप घर पर बैठकर आसानी से कर सकते हैं और अपने जीवन को निरोगी बना सकते हैं।
आसान से क्या तात्पर्य है और उसके प्रकार कौन से हैं?
आसान से तात्पर्य शरीर की वह स्थिति है जिसमें आप अपने शरीर और मन को शांत स्थिर और सुख से रख सकें.
स्थिरसुखमासनम्: सुखपूर्वक बिना कष्ट के एक ही स्थिति में अधिक से अधिक समय तक बैठने की क्षमता को आसन कहते हैं।
योग शास्त्रों के परम्परानुसार चौरासी लाख आसन हैं और ये सभी जीव जंतुओं के नाम पर आधारित हैं। इन आसनों के बारे में कोई नहीं जानता इसलिए चौरासी आसनों को ही प्रमुख माना गया है. और वर्तमान में बत्तीस आसन ही प्रसिद्ध हैं।
आसनों को अभ्यास शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप से स्वास्थ्य लाभ एवं उपचार के लिए किया जाता है।
आसनों को दो समूहों में बांटा गया है:-
* गतिशील आसान
* स्थिर आसान
गतिशील आसन- वे आसन जिनमे शरीर शक्ति के साथ गतिशील रहता है.
स्थिर आसन- वे आसन जिनमे अभ्यास को शरीर में बहुत ही कम या बिना गति के किया जाता है.
स्वस्तिकासन / Swastikasana
स्वस्तिकासन / Swastikasana स्थिति:- स्वच्छ कम्बल या कपडे पर पैर फैलाकर बैठें।
विधि:- बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिने जंघा और पिंडली (calf, घुटने के नीचे का हिस्सा) और के बीच इस प्रकार स्थापित करें की बाएं पैर का तल छिप जाये उसके बाद दाहिने पैर के पंजे और तल को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली के मध्य स्थापित करने से स्वस्तिकासन बन जाता है। ध्यान मुद्रा में बैठें तथा रीढ़ (spine) सीधी कर श्वास खींचकर यथाशक्ति रोकें।इसी प्रक्रिया को पैर बदलकर भी करें।
लाभ:-
* पैरों का दर्द, पसीना आना दूर होता है।
* पैरों का गर्म या ठंडापन दूर होता है.. ध्यान हेतु बढ़िया आसन है।
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