Friday, November 23, 2018

स्वास्थ्य रहना है तो अपनाएं ये नियम

1. दिनचर्या में थोड़ा-सा व आसान परिवर्तन आपको स्वस्थ व दीर्घायु बना सकता है। बशर्ते आप कुछ चीजों को जीवनभर के लिए अपना लें और कुछ त्याज्य चीजों को हमेशा के लिए दूर कर दें। इसके लिए अपनाइए सरल-सा 20 सूत्री जीवन।
2. प्रतिदिन प्रातः सूर्योदय पूर्व (5 बजे) उठकर दो या तीन किमी घूमने जाएँ। सूर्य आराधना से दिन का आरंभ करें। इससे एक शक्ति जागृत होगी जो दिल-दिमाग को ताजगी देगी।
3. शरीर को हमेशा सीधा रखें यानी बैठें तो तनकर, चलें तो तनकर, खड़े रहें तो तनकर अर्थात शरीर हमेशा चुस्त रखें।
4. भोजन से ही स्वास्थ्य बनाने का प्रयास करें। इसका सबसे सही तरीका है, भोजन हमेशा खूब चबा-चबाकर आनंदपूर्वक करें ताकि पाचनक्रिया ठीक रहे, इससे कोई भी समस्या उत्पन्न ही नहीं होगी।
5. मोटापा आने का मुख्य कारण तैलीय व मीठे पदार्थ होते हैं। इससे चर्बी बढ़ती है, शरीर में आलस्य एवं सुस्ती आती है। इन पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
6. गरिष्ठ-भारी भोजन या हजम न होने वाले भोजन का त्याग करें। यदि ऐसा करना भी पड़े तो एक समय उपवास कर उसका संतुलन बनाएँ।
7. वाहन के प्रति मोह कम कर उसका प्रयोग कम करने की आदत डालें। जहाँ तक हो कम दूरी के लिए पैदल जाएँ। इससे मांसपेशियों का व्यायाम होगा, जिससे आप निरोगी रहकर आकर्षक बने रहेंगे, साथ ही पर्यावरण की रक्षा में भी सहायक होंगे।
8. भोजन में अधिक से अधिक मात्रा में फल-सब्जियों का प्रयोग करें। उनसे आवश्यक तैलीय तत्व प्राप्त करें, शरीर के लिए आवश्यक तेल की पूर्ति प्राकृतिक रूप के पदार्थों से ही प्राप्त करें।
9. दिमाग में सुस्ती नहीं आने दें, कार्य को तत्परता से करने की चाहत रखें।
10. घर के कार्यों को स्वयं करें- यह कार्य अनेक व्यायाम का फल देते हैं।
11. व्यस्तता एक वरदान है, यह दीर्घायु होने की मुफ्त दवा है, स्वयं को व्यस्त रखें।
12. कपड़े अपने व्यक्तित्व के अनुरूप पहनें। थोड़े चुस्त कपड़े पहनें, इससे फुर्ती बनी रहेगी।
13. जीवन चलने का नाम है, गतिशीलता ही जीवन है, यह सदा ही याद रखें।
14. अपने जीवन में लक्ष्य, उद्देश्य और कार्य के प्रति समर्पण का भाव रखें।
15. शरीर की सुंदरता उसकी सफाई में है। इसका विशेष ध्यान रखें।
16. सुबह एवं रात में मंजन अवश्य करें। साथ ही सोने से पूर्व स्नान कर कपड़े बदलकर पहनें। आप ताजगी महसूस करेंगे।
17. शरीर का प्रत्येक अंग-प्रत्यंग रोम छिद्रों के माध्यम से श्वसन करता है। इसीलिए शयन के समय कपड़े महीन, स्वच्छ एवं कम से कम पहनें। सूती वस्त्र अतिउत्तम होते हैं।
18. बालों को हमेशा सँवार कर रखें। अपने बालों में तेल का नियमित उपयोग करें। बाल छोटे, साफ रखें, अनावश्यक बालों को साफ करते रहें।
19. नियमित रूप से अपने आराध्य देव के दर्शन हेतु समय अवश्य निकालें। आप चाहे किसी भी धर्म के अनुयायी हों, अपनी धर्म पद्धति के अनुसार ईश्वर की प्रार्थना अवश्य करें।
20. क्रोध के कारण शरीर, मन तथा विचारों की सुंदरता समाप्त हो जाती है। क्रोध के क्षणों में संयम रखकर अपनी शारीरिक ऊर्जा की हानि से बचें।
मन एवं वाणी की चंचलता से अनेक अवसरों पर अपमानित होना पड़ सकता है। अतः वाणी में संयम रखकर दूसरों से स्नेह प्राप्त करें, घृणा नहीं।

1 .पसीने में पानी पीना, छाया में बैठकर अधिक हवा खाना, छाती व सिर में दर्द पैदा करते हैं।

2 .भोजन के दौरान थोड़ा-थोड़ा पानी पीना, भोजन के बाद ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए।

3 .दिनभर बैठक का काम करने वाले व्यक्ति को प्रातः घूमना चाहिए।

4 .जूठा पानी पीने से टीबी, खांसी व दमा आदि बीमारियां पैदा होती हैं।

5 .पेट में पानी हो तो दो गोले नारियल का पानी नित्य सेवन करें।

6 .महिलाओं को विशेषकर अंगूर सेवन ज्यादा करना चाहिए।

7 .दही में बेसन मिलाकर उबटन की तरह मलें, शरीर की बदबू रफूचक्कर हो जाएगी।

8 .सांस फूलने पर दही की कढ़ी में देसी घी डालकर कुछ दिन खाएं।

9 .लू से छुटकारा पाने के लिए मिश्री के शरबत में एक कागजी नीबू निचोड़कर पीएं।

10 .कांच या कंकर खाने में आने पर ईसबगोल भूसी गरम दूध के साथ तीन समय सेवन करें।

11 .घाव न पके, इसलिए गरम मलाई (जितनी गरम सहन कर सकें) बांधें।

दिनचर्या में थोड़ा-सा व आसान परिवर्तन आपको स्वस्थ व दीर्घायु बना सकता है। बशर्ते आप कुछ चीजों को जीवनभर के लिए अपना लें और कुछ त्याज्य चीजों को हमेशा के लिए दूर कर दें। इसके लिए अपनाइए सरल-सा 20 सूत्री जीवन।
1.प्रतिदिन प्रातः सूर्योदय पूर्व (5 बजे) उठकर दो या तीन किमी घूमने जाएँ। सूर्य आराधना से दिन का आरंभ करें। इससे एक शक्ति जागृत होगी जो दिल-दिमाग को ताजगी देगी।
2.शरीर को हमेशा सीधा रखें यानी बैठें तो तनकर, चलें तो तनकर, खड़े रहें तो तनकर अर्थात शरीर हमेशा चुस्त रखें।
3.भोजन से ही स्वास्थ्य बनाने का प्रयास करें। इसका सबसे सही तरीका है, भोजन हमेशा खूब चबा-चबाकर आनंदपूर्वक करें ताकि पाचनक्रिया ठीक रहे, इससे कोई भी समस्या उत्पन्न ही नहीं होगी।
4.मोटापा आने का मुख्य कारण तैलीय व मीठे पदार्थ होते हैं। इससे चर्बी बढ़ती है, शरीर में आलस्य एवं सुस्ती आती है। इन पदार्थों का सेवन सीमित मात्रा में ही करें।
5.गरिष्ठ-भारी भोजन या हजम न होने वाले भोजन का त्याग करें। यदि ऐसा करना भी पड़े तो एक समय उपवास कर उसका संतुलन बनाएँ।
6.वाहन के प्रति मोह कम कर उसका प्रयोग कम करने की आदत डालें। जहाँ तक हो कम दूरी के लिए पैदल जाएँ। इससे मांसपेशियों का व्यायाम होगा, जिससे आप निरोगी रहकर आकर्षक बने रहेंगे, साथ ही पर्यावरण की रक्षा में भी सहायक होंगे।
7.भोजन में अधिक से अधिक मात्रा में फल-सब्जियों का प्रयोग करें। उनसे आवश्यक तैलीय तत्व प्राप्त करें, शरीर के लिए आवश्यक तेल की पूर्ति प्राकृतिक रूप के पदार्थों से ही प्राप्त करें।
8.दिमाग में सुस्ती नहीं आने दें, कार्य को तत्परता से करने की चाहत रखें।
9.घर के कार्यों को स्वयं करें- यह कार्य अनेक व्यायाम का फल देते हैं।
10.व्यस्तता एक वरदान है, यह दीर्घायु होने की मुफ्त दवा है, स्वयं को व्यस्त रखें।
11.कपड़े अपने व्यक्तित्व के अनुरूप पहनें। थोड़े चुस्त कपड़े पहनें, इससे फुर्ती बनी रहेगी।
12.जीवन चलने का नाम है, गतिशीलता ही जीवन है, यह सदा ही याद रखें।
13.अपने जीवन में लक्ष्य, उद्देश्य और कार्य के प्रति समर्पण का भाव रखें।
14.शरीर की सुंदरता उसकी सफाई में है। इसका विशेष ध्यान रखें।
15.सुबह एवं रात में मंजन अवश्य करें। साथ ही सोने से पूर्व स्नान कर कपड़े बदलकर पहनें। आप ताजगी महसूस करेंगे।
16.शरीर का प्रत्येक अंग-प्रत्यंग रोम छिद्रों के माध्यम से श्वसन करता है। इसीलिए शयन के समय कपड़े महीन, स्वच्छ एवं कम से कम पहनें। सूती वस्त्र अतिउत्तम होते हैं।
17.बालों को हमेशा सँवार कर रखें। अपने बालों में तेल का नियमित उपयोग करें। बाल छोटे, साफ रखें, अनावश्यक बालों को साफ करते रहें।
18.नियमित रूप से अपने आराध्य देव के दर्शन हेतु समय अवश्य निकालें। आप चाहे किसी भी धर्म के अनुयायी हों, अपनी धर्म पद्धति के अनुसार ईश्वर की प्रार्थना अवश्य करें।
19.क्रोध के कारण शरीर, मन तथा विचारों की सुंदरता समाप्त हो जाती है। क्रोध के क्षणों में संयम रखकर अपनी शारीरिक ऊर्जा की हानि से बचें।
20.मन एवं वाणी की चंचलता से अनेक अवसरों पर अपमानित होना पड़ सकता है। अतः वाणी में संयम रखकर दूसरों से स्नेह प्राप्त करें, घृणा नहीं।

नए साल में सभी कुछ न कुछ बेहतर करने और पाने के लिए शपथ ले चुके होंगे, लेकिन स्वास्थ्य आपकी उन सभी प्रतिज्ञाओं के पूरा होने में आड़े न आए, इसके लिए आपको नए साल में उचित आहार और सही व्यायाम अपनाना होगा।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ ट्रेसी एंडरसन ने आने वाले वर्ष में स्वस्थ रहने के लिए कुछ ऐसी ही शानदार तरकीबें बताई हैं :-

वांछित स्वास्थ्य हासिल करने के प्रति ईमानदारी बरतें: आपको सबसे पहले ईमानदारी से चिह्न्ति करना होगा कि आप कैसा स्वास्थ्य चाहते हैं और आपका मौजूदा स्वास्थ्य उस दिशा में कहां है। इसके बाद आपको निर्धारित स्वास्थ्य प्रदान करने वाले व्यायामों को अपनाना होगा।

हफ्ते में पांच से सात दिन व्यायाम करें: अगर आप किसी भी एक दिन व्यायाम नहीं करते हैं, तो आप जस के तस रहेंगे और वजन बढ़ता रहेगा। हमें अपने शरीर की देखभाल करने का आदी होने की जरूरत है।

हम हर दिन अपने दांतों की देखभाल में पांच मिनट का समय देते हैं और दांत हमारे शरीर के बाकी हिस्से की तुलना में बहुत छोटे हैं। इसलिए अगर दांत पांच मिनट लेते हैं तो पूरे शरीर को 30 से 60 मिनट तो देना ही चाहिए।

उचित आहार और व्यायाम साथ-साथ अपनाएं: अगर आपको अपना वजन कम करना है तो आपको व्यायाम के लिए खुद को प्रशिक्षित करना होगा, साथ ही उचित आहार भी अपनाना होगा। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थो से बचें और प्राकृतिक खाद्य पदार्थो का सेवन करें।

व्यायाम के लिए अपने पसंददीदा गानों की सूची तैयार करें: गाने सुनना सभी को पसंद है और सभी के अपने-अपने पसंददीदा गीत भी होते हैं। व्यायाम करते वक्त ये गाने आपके लिए बेहद मददगार साबित हो सकते हैं, इसलिए अपने पसंददीदा गीतों की सूची तैयार करें और उन्हें सुनते हुए व्यायाम करें।

पसीने में पानी पीना, छाया में बैठकर अधिक हवा खाना, छाती व सिर में दर्द पैदा करते हैं।

* भोजन के दौरान थोड़ा-थोड़ा पानी पीना, भोजन के बाद ज्यादा पानी नहीं पीना चाहिए।

* दिनभर बैठक का काम करने वाले व्यक्ति को प्रातः घूमना चाहिए।

* जूठा पानी पीने से टीबी, खांसी व दमा आदि बीमारियां पैदा होती हैं।

* पेट में पानी हो तो दो गोले नारियल का पानी नित्य सेवन करें।

* महिलाओं को विशेषकर अंगूर सेवन ज्यादा करना चाहिए।

* दही में बेसन मिलाकर उबटन की तरह मलें, शरीर की बदबू रफूचक्कर हो जाएगी।

* सांस फूलने पर दही की कढ़ी में देसी घी डालकर कुछ दिन खाएं।

* लू से छुटकारा पाने के लिए मिश्री के शरबत में एक कागजी नीबू निचोड़कर पीएं।

* कांच या कंकर खाने में आने पर ईसबगोल भूसी गरम दूध के साथ तीन समय सेवन करें।

* घाव न पके, इसलिए गरम मलाई (जितनी गरम सहन कर सकें) बांधें।

अगर आपके बाल ड्राई हैं, तो हफ्ते में एक बार बालों पर गर्म तेल की मसाज व भाप दें। गर्म तेल बालों को ड्राई होने से रोकेगा और उन्हें मुलायम बनाएगा।

मेहंदी को कलर आने तक ही बालों पर लगाकर रखें और फिर तुरंत धो दें। मेहंदी जितनी देर बालों में लगी रहती है, उतनी देर बालों की नमी सोखती है।

ड्राई बालों पर ब्राशिंग स्कैल्प पर दबाकर करने से तैलीय ग्रंथियां सक्रिय होती है, जिससे बालों की ड्राईनेस कम होती है।

गाजर के जूस में शहद व नमक डालकर पीने से आंखों की कम हुई रोशनी लौट आती है।

किडनी स्टोन से दूर रहने के लिए नियमित तौर पर तरबूज ड्रिंक का सेवन करें।

चुकंदर में आयर्न की मात्रा अधिक होती है। इसके नियमित सेवन से चेहरे पर ग्लो आता है।

दिल के रोगियों के लिए करेला ड्रिंक बेहद फायदेमंद है। यह ब्लड को स्वच्छ बनाए रखता है।

फलों का रस ,अधिक घी तेल की चीजें,अधिक खट्टी ,(मट्टा रात में नहीं पीना  खाना चाहिये)

घी,तेलकी चीजें खाने के तुरंत बाद पानी नहीीं पीना चाहिये बल्कि एक डेढ़ घंटे बाद पीना चाहिये

भोजन के तुरंत बाद अधिक तेज चलना,दौड़ना नहीं चाहिये कुछ देर बाद आराम करने के बाद ही टहलने जायें

तेज धूप में चलने के बाद ,शारीरिक श्रम करने के बाद,शौच के तुरंत बाद,पानी नहीं पीना चाहिये

ठंड के दिनों में भी सर पर कपड़ा बांध कर,पैरों में मोजे पहनकर नहीं सोना चाहिये

अत्याधिक तेज या कम रोशनी में पढ़ना या टी.वी. या सिनेमा देखना नहीं चाहिये

अत्याधिक गर्म,ठंडी,मिर्च मसाला के प्रयोग से बचना चाहिये

तेज धूप में निकलते समय सर पर टोपी,या कपड़ा तथा आंखों पर चश्मा अवश्य लगाना चाहिये
आग या किसी गर्म चीज से जल जाने पर ठंडा पानी पहले डालें

नोट-इनमें से खाने पीने की चीजों में दसवां हिस्सा का भी  ख्याल रखेंगे तो कभी बीमार नहीं पड़ेगे।दीर्घायु तथा निरोगी रहेंगें।



हमारे जीवन में यह जानकारी रखना बहुत जरूरी है कि कौन-कौन से भोजन का मेल सही है या कौन-कौन से गलत। आयुर्वेद में भी भोजन के मेल पर बहुत सारी बातें बताई गई हैं। इसमें कई पदार्थ एक दूसरे से मिलकर जहर के सामान हो जाते हैं जैसे शहद और घी बराबर खाने से जहर बन जाता है।

भोजन के अलग-अलग तत्वों को पचाने के लिए अलग अलग पाचक रसों की जरूरत पड़ती है। श्वेतसार की पाचनक्रिया क्षार रस से होती है जबकि प्रोटीन को अम्ल पचाता है। अगर दोनों प्रकार के भोजन साथ साथ खाये जायेंगे तो दोनों के पाचक रस साथ साथ बनेंगे। इस तरह अम्ल रस और क्षार रस मिलकर प्रभावहीन हो जाते हैं जिससे प्रोटीन सड़नें शुरू हो जाते हैं। जिससे पाचनक्रिया काम नहीं करती है।

इसी प्रकार एक ही समय में कई वस्तुएं सब्जी, फल, अचार, दही, खीर, मिठाई, पापड़, आदि एक साथ खाने से रासायनिक क्रिया शुरू हो जाती है और पाचन तंत्र खराब हो जाता है।

एक समय में एक ही प्रकार का खाना खाना उचित आहार है। यह सही है मिश्रित भोजन गलत कदम है। एक टाईम में कम से कम खानों के मिश्रण को आसानी से पचाया जा सकता है।

भोजन में एक समय फल और एक समय सलाद लेना चाहिए। इसे एकाहार भी कहते हैं।

अनुचित मेल-

दूध और दही के साथ केला।
दूध या दही के साथ मूली।
दूध के साथ दही।
शहद के साथ गर्म जल व और कोई गर्म पदार्थ।
शहद और मूली।
खिचड़ी और खीर।
दूध के साथ खरबूजा, खीरा, ककड़ी।
दही, पनीर।
फलों के साथ सब्जियां।
रात में मूली या दही।
गर्म दही।
कांसे के बर्तन में दस दिन तक रखा हुआ घी।
दाल के साथ शकरकन्द, आलू, कचालू।
दाल और चावल या दाल और रोटी।
दूध या दही के साथ रोटी।
जानकारी-

जिन्हें रोटी और चावल के साथ दाल खानी हों उन्हें अच्छी मात्रा में सब्जी का भी सेवन करना चाहिए।

उचित मेल-

आम और गाय का दूध।
दूध और खजूर।
चावल और नारियल की गिरी।
दाल और दही।
अमरूद के साथ सौंफ।
बथुआ और दही का रायता।
गाजर और मेथी का साग।
दही और आंवला चूर्ण।
श्वेतसार के साथ साग सब्जी।
मेवे के साथ खट्टे फल।
दाल और सब्जी।
सब्जी व चावल की खिचड़ी।
रोटी के साथ हरे पत्ते वाली सब्जी।
अंकुरित दालें और कच्चा नारियल।




































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