परिचय
सूक्ष्म श्वास नलियों में कोई रोग उत्पन्न हो जाने के कारण जब किसी व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होने लगती है तब यह स्थिति दमा रोग कहलाती है, इस रोग में व्यक्ति को खांसी की समस्या भी होती है।
कारण :
• औषधियों का अधिक प्रयोग करने के कारण कफ़ सूख जाने से दमा हो जाता है।
• अस्थमा या एलर्जी का पारिवारिक इतिहास (आनिवांशिक दमा)
• खान-पान के गलत तरीके से यह रोग हो सकता है।
• मानसिक तनाव, क्रोध तथा अधिक भय के कारण भी दमा होने का एक कारण है।
• खून में किसी प्रकार से दोष उत्पन्न हो जाने के कारण भी दमा हो सकता है।
• नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करना भी इस रोग का कारण है।
• खांसी, जुकाम तथा नजला रोग अधिक समय तक रहने से दमा हो सकता है।
• भूख से अधिक भोजन खाने से दमा हो सकता है।
• मनुष्य की श्वास नलिका में धूल तथा ठंड लग जाने के कारण भी दमा हो सकता है।
• मल-मूत्र के वेग को बार-बार रोकने से यह रोग हो सकता है।
लक्षण :
• जब दमा रोग से पीड़ित रोगी को दौरा पड़ता है तो उसे सूखी या ऐठनदार खांसी होती है।
• दमा रोग से पीड़ित रोगी को कफ सख्त, बदबूदार तथा डोरीदार निकलता है।
• पीड़ित रोगी को सांस लेनें में बहुत अधिक कठिनाई होती है।
• यह रोग स्त्री-पुरुष दोनों को हो सकता है।
• रात के समय में लगभग 2 बजे के बाद दौरे अधिक पड़ते हैं।
• सांस लेते समय अधिक जोर लगाने पर रोगी का चेहरा लाल हो जाता है।
आयुर्वेदिक उपचार :
1. लहसुन दमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से दमे में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है।
2. अदरक की गरम चाय में लहसुन की दो पिसी कलियां मिलाकर पीने से भी अस्थमा नियंत्रित रहता है। सबेरे और शाम इस चाय का सेवन करने से मरीज को फायदा होता है।
3. 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएँ और गरम-गरम पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है।
4. 180 मिमी पानी में मुट्ठीभर सहजन की पत्तियां मिलाकर करीब 5 मिनट तक उबालें। मिश्रण को ठंडा होने दें, उसमें चुटकीभर नमक, कालीमिर्च और नीबू रस भी मिलाया जा सकता है। इस सूप का नियमित रूप से इस्तेमाल दमा उपचार में कारगर माना गया है।
5. मैथी का काढ़ा तैयार करने के लिए एक चम्मच मैथीदाना और एक कप पानी उबालें। हर रोज सबेरे-शाम इस मिश्रण का सेवन करने से निश्चित लाभ मिलता है।
6. एक पका केला छिलका लेकर चाकू से लम्बाई में चीरा लगाकर उसमें एक छोटा चम्मच दो ग्राम कपड़ा छान की हुई काली मिर्च भर दें। फिर उसे बगैर छीले ही, केले के वृक्ष के पत्ते में अच्छी तरह लपेट कर डोरे से बांध कर 2-3 घंटे रख दें। बाद में केले के पत्ते सहित उसे आग में इस प्रकार भूने की उपर का पत्ता जले। ठंडा होने पर केले का छिलका निकालकर केला खा लें।
बचाव :
• रोगी को गर्म बिस्तर पर सोना चाहिए।
• धूम्रपान नहीं करना चाहिए।
• भोजन में मिर्च-मसालेदार चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
• धूल तथा धुंए भरे वातावरण से बचना चाहिए।
• मानसिक परेशानी, तनाव, क्रोध तथा लड़ाई-झगडों से बचना चाहिए।
• शराब, तम्बाकू तथा अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
Wednesday, November 21, 2018
दमा का इलाज
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